UCLA के नए स्वास्थ्य अध्ययन से पता चला है की कुंडलिनी योग से महिलाओं मे बढ़ती उम्र मे स्मृति और अल्जाइमर-डेमेंशिया का खतरा कम हो जाता है। 15 साल चले इस स्वास्थ्य अध्ययन मे शोधकर्ताओं ने योग और स्मृति सुधार मे एक तुलनात्मक अध्ययन किया जिसमें उन्होंने पाया की वास्तव मे योग स्मृति सुधार और अल्जाइमर-डेमेंशिया के खतरा को कम करता है इस अध्ययन का नेतृत्व किया डॉक्टर हेलेन Lavretsky ने इस शोध को Neuroscience and Human Behavior के अंतर्गत किया गया । पता लगाने की कोशिश की गई की शुरुआती अल्जाइमर-डेमेंशिया का योग से क्या प्रभाव पड़ता है ।
महिलाओं मे पुरुषों के मुकाबले अल्जाइमर-डेमेंशिया का खतरा ओगुण ज्यादा होता है इसके कई कारक है जैसे की लंबी आयु की चाहत, estrogen का बदलाव, menopause और आनुवंशिकी शामिल है । महिलाएं दैनिक जीवन मे पुरुषों के मुकाबले ज्यादा मानसिक दवाब सहती है जिनसे उनकी बढ़ती उम्र मे अल्जाइमर-डेमेंशिया का खतरा भी बढ़ता जाता है ।
इस नए अध्ययन मे 50 साल से अधिक उम्र की 60 महिलाओं ने भाग लिया जिनमे 30 महिलाओं ने कभी अल्जाइमर-डेमेंशिया को महसूस किया था । महिलाओं को दो समूह मे विभाजित किया गया, एक ग्रुप को साप्ताहिक कुंडलनी योग 12 सप्ताह तक कराया गया जबकि दूसरी समूह को स्मृति विकास की तैयारी करवाई गई, समानतार समय में उन्हे इससे जुड़े कुछ गृह कार्य भी दिए गए ।
कुंडलिनी योग मुद्रा एक प्रकार का योग है जिसमें जप, गायन, श्वास व्यायाम और आसन शामिल हैं।
पहले समूह का 12 सप्ताह बाद ब्लड टेस्ट , MRI स्कैन किया गया इस समूह की महिलाए अल्जाइमर-डेमेंशिया से ग्रसित थी । उनमे सकारात्मक सुधार पाया गया जबकि दूसरी समूह की महिलों मे जो की इस रोग से ग्रस्त नहीं थी उन्हे स्मृति सुधार जैसे कार्य करवाए गए थे उनके मुकाबले पहली समूह की महिलाओं को अधिक लाभ हुया था ।