शुक्राणु की कमी (low sperm Count),-कारण, लक्षण और इलाज

शुक्राणु की कमी

इसे पुराने ज़माने से चली आ रही परेशानी कहें या आधुनिक जीवन शैली की वजह से आया विकार, पुरुषों में शुक्राणुओं की कमी आजकल आम हो गयी है. इसे शहर की सड़कों से बाहर नामर्दी की अचूक दवा बेचने वाले वज्ञापनों की अधिकता में भी समझा जा सकता है.

कम शुक्राणु होने को ओलीगोस्पर्मिया कहते हैं. आगे वीर्य में एक भी शुक्राणु नहीं हा तो इसे एजूस्पर्मिया कहते हैं. कम स्पर्म वाले पुरुष अपने साथी को गर्भवती नहीं कर पाते या इसमें उन्हें दिक्कत का सामना करना पड़ता है।

कम शुक्राणु का क्या असर पड़ता है , सीधा और साफ सरल शब्दों मे पुरुष के कम शुक्राणु के कारण पिता बनने परेशानी आती है । और शराणुओं की कमी किसी भी कारण से हो सकती है , जिनमें शराब और किसी भी माध्यम मे तंबाकू का सेवन हो सकता है , अंडकोश मे गंभीर चोट भी इस परेशानी का सबब बन सकता है । और सबसे बड़ा कारण हस्तमैथुन हो सकता है जब इसे अधिक मात्रा मे किया जाए किसी भी चिज की अति सदैव हानिकारक होता है । एक निश्चित अंतराल मे इसके कोई हानिकारक प्रभाव नहीं है लेकिन कोई जब अति यानि की बिना हस्तमैथुन के रह ही ना पाए । दिनभर कामुक विचार हुड़दंग मचाते रहे , और समय मिलते ही अश्लील वीडियो और फिर हस्तमैथुन दिन मे अनेकों बार इस क्रिया को करने के बाद आत्मग्लानि के साथ हीनता घर कर जाती है । विचारों मे धूमिलता आती है ।

स्पर्म काउंट कम होने के कुछ अन्य कारण निम्नलिखित हैं :

वृषण से निकलने वाली नसों में ज़ब सूजन हो जाता है तो शुक्राणु की कमी हो सकती है. इसके अलावा यौन आधारित संक्रमण, नशे और तनाव की वजह से शुक्राणु की संख्या में कमी हो सकती है. यदि किसी व्यक्ति में स्खलन की समस्या है तो इससे भी स्पर्म काउंट में कमी आ सकती है. लंबे समय तक साइकिल चलाने से भी वीर्य में स्पर्म की कमी हो सकती है.

ऐसा नहीं है कि इस विकार को दूर नहीं किया जा सकता. अगर कुछ चीज़ेँ तय कर ली जाएँ, तो निश्चित रूप से वीर्य में शुक्राणु की कमी को पूरा किया जा सकता है. अगर आप नीचे दिए नुस्खे अपनाते हैं तो शुक्राणु की कमी की समस्या से निजात पा सकते हैं.

धूम्रपान एकदम न करें. यह स्पर्म काउंट कम होने की बड़ी वजह है. पुरुषों में धूम्रपान की आदत आम है और इसी वजह से स्पर्म में कमी भी पुरुषों में आम है.

परिणाम घातक होने पहले निम्न सुधार कर लें

  1. सबसे पहले अपने सोने और जागने के समय को निर्धारित करें ।
  2. सोने से 40 मिनट पहले अपने मोबाईल को अपने से दूर कर दे । और कोई अच्छा सा साहित्य पढे । कोशिश करे कोई भी अश्लील वीडियो बिल्कुल भी ना देखे ,
  3. रोजाना योग और कसरत करे ।
  4. सुबह के नाश्ते को बिल्कुल भी नजर अंदाज ना करे , हल्का और सुपाच्य भोजन करे
  5. पशुओं मे कभी स्पर्म की कमी नहीं होती और वो कोई विशेष यौन शक्ति बढ़ाने की दवा भी नहीं खाता , केवल घास-फूस से ही वो अपनी कमी को पूरी कर लेता है , इसलिए अपने पेट और मन को साफ रखे जो भी खाए वो सात्विक और शुद्ध हो ।
  6. अपने पाचन तंत्र को सही रखे ।
  7. अपने भोजन को एक निशित समय पर ही करे
  8. चिंता तनाव से दूर रहे । सज्जन लोगों की संगति करे ।
  9. अपने आप को को किसी उच्च लक्ष्य वाले काम मे व्यस्त कर लें ।

कुछ आयुर्वेदिक औषधि जो शुक्राणु की कमी दूर करके आपको बलवान और ओजवान बना देंगे

डाबर शिलाजीत गोल्ड कैप्सूल

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जैसा की नाम से ही पता चलता है यह डाबर कंपनी द्वारा बनाया जाता है । इसमे कई आयुर्वेदिक औषधियों का मिश्रण है जो शरीर की सामान्य कमजोरी , मस्तिष्क की कार्य क्षमता , मानसिक क्षमता मे वृद्धि करती है खासकर इसमे शिलाजीत नामक तत्व दिमाग के लिय वरदान है डाबर शिलाजीत के कई ऐसे घटक है जो शुक्राणुओं की कमी को पूरा करने मे मदद करती है ।

याद रखे परिपक्कव शुक्राणु 65 से 72 दिन में बनते है । इसलिए अभी आपका सबसे बड़ा साथी धैर्य है जिस भी कारण से वीर्य अथवा स्पर्म की हानी हुई है उसकी पूर्ति हेतु इतना समय तो देना ही होगा।

बात करे इसके उपयोग की तो एक कैप्सूल भोजन के बाद दूध या पानी के साथ ले सकते है।

मन्मथ रस और बंग भस्म

इसे डाबर और वैधनाथ के साथ कई दवा उत्पादक कंपनी बनती है । मन्मथ रस टैबलेट के रूप मे आती है और इसे दूध के साथ 2 टैबलेट सुबह शाम लिया जाना चाहिए और साथ ही बंग भस्म को मक्खन के साथ एक चुटकी सुबह शाम लेनी होती है । इन सारी आयुर्वेदिक औषधिओं के घटक और कार्य विधि का वर्णन किसी और पोस्ट मे किया जाएगा ।

मूसली पाक

इसे भी विभिन प्रकार की दवा उत्पादक इकाइया बनाती है , यह आयुर्वेदिक औषधि आपकी सारी यौन कमजोरी को दूर कर देगी इसे भोजन के बाद दो छोटी चम्मच दूध के साथ लेना होता है ।

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इन सारी औषधियों का सेवन अवधि कम से कम 3 महीने है
ऊपर बताई गई सारी औषधिया सुरक्षित है फिर भी किसी योग्य चिकित्सक के देख रेख मे ही ले । अन्यथा किसी भी प्रकार की हानी के लिए यह पोर्टल जिम्मेदार नहीं होगा । हमारा ध्येय केवल जानकारी देना है आप अपने डॉक्टर से इस बारे मे बात कर सकते है ।

शुक्रणी की कमी का पता कैसे चलता है

शुक्राणु की कमी अथवा इसके बारे मे जानकारी सामान्य लक्षण के अलावा लैब टेस्ट जिसमे आपको अपने वीर्य को जांच के लिए एक सेंपल देना होता है मुश्किल से 1 घंटा मे आपको आपके वीर्य की सेहत की जानकारी मिल जाएगी

शुक्राणु में कमी माने स्पर्म काउंट म होने के कई तरह के जांच उपलब्ध हैं, जिनमें कुछ का ज़िक्र नीचे है:

सामान्य फिटनेस टेस्ट. यह यूं भी करवाते रहना चाहिए ताकि शरीर कि अवस्था पता रहे.

वीर्य का अध्ययन यह इलाज की प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण और सबसे पहला काम है.

हार्मोन टेस्ट. हमारी जीवन जीने के तौर तारीकों ने हार्मोन के स्तर पर हम में काफी असंतुलन बना दिया है. और यह असंतुलन कई बार दवाई और विज्ञान की मदद से ही पूरा किया जा सकता है.

जेनेटिक टेस्ट. जैसा कि हम पहले भी ज़िक्र कर चुके हैं, स्पर्म की कमी की एक वजह अनुवाँशिक भी होती है, अतः ये जांच जरूरी है कि सारे हार्मोन सही मात्रा में बन रहे हैं या नहीं.

टेस्टिक्युलर बायोप्सी.

अंडकोष का अल्ट्रासाउंड.

ट्रांसरेक्टल अल्ट्रासाउंड टेस्ट.

इजैक्युलेशन के बाद यूरिन की जांच

शुक्राणु रोधक एंटीबॉडी परीक्षण

शुक्राणु के विशेष कार्य का परीक्षण

तो अब सोचते हैं इसके निदान के बेहतर उपाय या हो सकते हैं.

सबसे पहले तो अपनी जीवनशैली से शुरुआत करनी चाहिए. हमें रुक कर सोचना चाहिए कि आपकी स्पर्म काउंट का घटता स्तर एक चिंता का विषय है. इसमें सुधार तभी संभव है जब जीवन में नियमित और सकारात्मक परिवर्तन हों. हम ज़्यादा से ज़्यादा सब्जी, फल और ड्राई फ्रूट्स को अपने आहार में जगह दें और अस्वस्थ खाने से बचें. अपनी साफ सफाई का पूरा ध्यान रखें. क्लिनिकल उपाय और भी है लेकिन प्राथमिक तौर पर तो इन नियमों का ही पालन करना चाहिए. डॉक्टर अमूमन ये सलाह देते हैं

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