टाइफॉइड बुखार
नमस्कार दोस्तों टाइफॉइड बुखार एक जानलेवा रोग है। जो सलमोनेला टाईफि नामक बैक्टीरीआ से होता हैं , W.H.O की एक रिपोर्ट के अनुसार लगभग 9 करोड़ लोग इस रोग से पीड़ित होते है। और इनमें से 1 लाख 10 हजार लोग मारें जाते है। आज हम इस टॉपिक के माध्यम से जानेंगे की टाइफॉइड बुखार कैसे और क्यों होता है तथा इसका क्या इलाज है।
टाइफॉइड बुखार सलमोनेला टाईफि नामक बैक्टीरीआ से होता हैं जो की मानव शरीर मे जीवित रहता है और वृद्धि करता जाता है । शहरी करण , जलवायु परिवर्तन इस रोग के होने के संभावना को और अधिक बढ़ा देता है। इस बुखार के बैक्टीरीआ दूषित भोजन, पानी, दूध, इत्यादि से फैलता है सामान्यतः जिस जगह साफ-सफाई की कमी होती है। एक बार इस रोग के बैक्टीरीआ शरीर मे प्रवेश कर जाते है तब बुखार के सेपटीसीमिया हो जाता है। सलमोनेला टाईफि समान्यतः छोटी आँत को अपना घर बना लेते है और ज्यादा वृद्धि कर लेने पर आँत मे अल्सर पैदा कर देते है।
रोग लक्षण – प्रायः पीड़ित होने के 10 से 14 दिन बाद दिखते है।
रोग लक्षण
इस रोग का आरंभिक लक्षण सिर दर्द , बदता हुया बुखार, बेचैनी , मतली, पेट दर्द, कब्ज, या पतला दस्त इसके प्रमुख लक्षण है। गंभीर संक्रमण की स्थिति मे रोगी की हालत और अधिक बिगड़ सकती है यंहा तक की मृत्यु भी हो सकती है।
Acute Typhoid Fever गंभीर हो सकता है। यह निर्भर करता है clinical Setting और Quality care पर
10% टाइफॉइड पीड़ित गंभीर जटिलताओं से पीड़ित होते है । और 3% लोगों को अस्पताल मे भर्ती होना पड़ जाता है।
- रोगी की नब्ज गति बढ़ जाती है।
- रक्तचाप कम हो सकता है।
- तीव्र संक्रमण मे आंतों मे अल्सर , हेपेटाइटिस, निमोनिया, हैमरेज भी हो सकता है प्रायः ऐसे लक्षण बहुत ही कम देखने को मिलते है।
संक्रमण के स्तर
1-5% लोग इस रोग के वाहक होते है । कभी-काभी ऐसे लोग जिनमे सलमोनेला टाईफि के bacteria सुसुप्त अवस्था मे होते है , जो उनको हानी नहीं पहुचाते परंतु ऐसे लोगों के मल या उनके द्वारा पर्याप्त साफ-सफाई के अभाव मे भोजन परोशने या बनाने के दौरान यह अन्य लोगों को प्रभावित कर सकता है।
संचरण
मानव एक मात्र प्राकृतिक होस्ट है सलमोनेला टाईफि का , सलमोनेला टाईफि संक्रमण शौच, दूषित, पानी , भोजन, दूध, से संचरित हो सकता है । खासकर सीवेज के पानी से उगाई गई फल,सब्जियों से ऐसा तथ्य चूहों पर किए गए परीक्षण के आधार पर कहा जाता है।
सलमोनेला टाईफि मुख, और श्वसन तंत्र द्वारा हमारे शरीर के अंदर संचरित हो सकते है। टाइफॉइड रोग ऐसे क्षेत्रों मे अधिक पाया जाता है , जिस जगह पे कम-साफ सफाई पाई जाती है, जैसे -फूड स्टॉल पर हैन्डलर द्वारा सफाई का ध्यान न रखना
Diagnosis
blood Culture और Widal Test द्वारा इस रोग की पहचान की जा सकती है। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर द्वारा Blood Count भी कराया जा सकता है। कभी-कभी मल का परीक्षण , Bone Marrow टेस्ट का भी सलाह दिया जाता है
उपचार
इस रोग का उपचार एंटिबयोटिक्स से किया जाता है, जिसमे क्लोरोमफेनिकोल बहुत ही ज्यादा प्रभावी एंटिबयोटिक् दवाई है रोगी की स्थिति उम्र, वजन, पिछले इलाज का इतिहास के अनुसार अलग-अलग प्रकार की दवाइयों का सुझाव दिया जा सकता है। स्थिति तब खराब हो जाती है जब MDR यानि की multiple drug resistance हो जाता है । अभी इस बुखार मे Azithromycin नाम की दवा का अच्छा प्रभाव देखा जाता है , कुछ अन्य antibiotics भी है जो इस रोग मे लिखे जाते है जैसे – cefixime, Ofloxacine, Ceftrixone, Cephotaxime, इत्यादि
इस रोग से बचाव के उपाय
- शौच के बाद अपने हाथों को अच्छी तरह से धोना ।
- फल, सब्जियों को धोकर कहना चाहिए।
- ध्यान रखना चाहिए की भोजन को अच्छी तरह से पकाया गया हो और उसे गरम – गरम ही कहा लेना चाहिए ।
- शोध द्वारा साबित हो चुका है की आइस क्रीम जो शुद्ध जल से न बनाए गए हो उनसे भी संक्रमण फ़ाइल सकता है ।
- टाइफॉइड फीवर से बचने के लिए इसके टीके भी आते है जो अपने डॉक्टर की सलाह पर लगाया जा सकता है ।
- इस रोग की पुनरावृति ना हो इसके लिए डॉक्टर द्वारा बताई गई औषधियों को सही मात्रा और सही अवधि तक कहानी चाहिए
90% लोग घर पर ही ठीक हो जाते है डॉक्टर के सलाह अनुसार औषधियों का सेवन करके , कम संक्रमण वाले रोगी Antibiotics के मौखिक खुराक से ही ठीक हो जाते है , आधी संक्रमण वाले रोगियो को इन्जेक्शन लगवाने पड़ जाते है ।