इन गलतियों के कारण आप मौसम के संधि काल में सर्दी, खांसी, बुखार आदि से बीमार पड़ जाते है?

  • आंतरिक कारक- जैसे हार्मोन की गड़बड़ी से मूड का बदलना , गुस्सा आना, चिड़चिड़ापन, चिंता-तनाव , जैसे लक्षण आते है । इसी समूह मे एक बात यह आती है की पोषक तत्वों की कमी से शरीर मे कई अहम बदलाव आ जाते है, जैसे विटामिन की कमी से उत्पन्न रोग ,
  • बाहरी कारक -जैसे अधिक ठंडी -गर्मी , आघात, बिजली के झटके, शराब का सेवन, संक्रम रोगों के शिकार होना , धूम्रपान इत्यादि आते है ,

जब हम मौसम के संधि काल मे होते है। तो हमारे शरीर का तापमान लगातार बदलता रहता है। कभी सर्दी काभी गर्मी बदलते तापमान के कारण हमारे मूँह और पेट उपस्थित सूक्ष्मजीवाणुओं के तापमान मे परिवर्तन आता है, यही वो समय होता है जब जीवाणु अपनी संख्या मे तेजी से वृद्धि करता है। इसलिए जब हम तेज धूप से आते है तो ठंड पानी नहीं पीने की सलाह दी जाती है, जीवाणुओ मे वृद्धि हमें बीमार कर सकता है जैसे – सर्दी, खांसी,बुखार अक्सर देखा गया है की बारिश के मौसम में बुखार अधिक होता है। ऐसा इसलिए की इस मौसम मे रोगाणुओं की संख्या मे अप्रत्यशीत वृद्धि हो रही होती है।, जीवाणुओं के लिए ऐसा मौसम अनुकूल होता है अपनी संख्या में वृद्धि के लिए

जैसा की उपर बताया गया है की बदले मौसम में रोगाणु अधिक पनपते है, इस मौसम में असमय स्नान आपको बीमार कर सकता है। सबसे उचित समय सुबह का स्नान होता है। सुबह के स्नान का वर्णन हामरे आयुर्वेद भी किया गया है। इस समय का स्नान चित्त को शांति, ओज और ऊर्जा को बढ़ाने वाला होता है। इसलिए सुबह का स्नान ही किया करे ।

pexels-pixabay-533339

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *